Ranchi Crime: पहले ट्रेनिंग, फिर पगार – नाबालिगों से मोबाइल चोरी कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश

रांची पुलिस ने नाबालिगों से मोबाइल चोरी कराने वाले संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया। जानें कैसे बच्चों को ट्रेनिंग देकर चोरी के धंधे में लगाया जाता था।

Jan 3, 2025 - 09:27
 0
Ranchi Crime: पहले ट्रेनिंग, फिर पगार – नाबालिगों से मोबाइल चोरी कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश
Ranchi Crime: पहले ट्रेनिंग, फिर पगार – नाबालिगों से मोबाइल चोरी कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश

रांची पुलिस ने शहर में मोबाइल चोरी के एक बड़े संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह के मुख्य आरोपी शिवजी महतो को गिरफ्तार कर लिया गया है। हैरानी की बात यह है कि यह गिरोह नाबालिग बच्चों को चोरी करने के लिए ट्रेनिंग देता था और फिर उन्हें 15 हजार रुपये पगार के रूप में भुगतान करता था।

कैसे हुआ खुलासा?

1 जनवरी को, मोरहाबादी मैदान के पास बापू वाटिका से एक नाबालिग को तीन मोबाइल के साथ पकड़ा गया। पूछताछ में इस बच्चे ने पुलिस को गिरोह के बारे में जानकारी दी।
इसके बाद, पुलिस ने सुखदेवनगर थाना क्षेत्र के हेहल बांस टोली में छापेमारी की और शिवजी महतो को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस ने शिवजी के कमरे की तलाशी ली, जिसमें 27 एंड्रॉयड मोबाइल और दो कीपैड मोबाइल बरामद किए गए।

कैसे काम करता था यह गिरोह?

गिरोह का काम बेहद योजनाबद्ध था:

  1. चयन प्रक्रिया: गिरोह 10 से 15 साल के नाबालिग बच्चों को चुनता था।
  2. ट्रेनिंग:
    • भीड़भाड़ वाले इलाकों, हाट-बाजार, और मेले जैसे स्थानों को टारगेट करना।
    • व्यस्त लोगों की जेब, पर्स, और हाथ में रखे मोबाइल गायब करने की कला सिखाई जाती थी।
  3. पगार: प्रशिक्षण के बाद बच्चों को 15 हजार रुपये महीने की पगार दी जाती थी।

शहर में चोरी का अड्डा

शिवजी महतो ने पुलिस को बताया कि चोरी किए गए मोबाइल ज्यादातर मोरहाबादी खादी सरस मेला परिसर और शहर के अन्य हाट-बाजारों से चोरी किए गए थे।

पुलिस की कार्रवाई और इतिहास

  • गिरफ्तार शिवजी महतो पहले भी मोबाइल चोरी के दो मामलों में जेल जा चुका है।
  • पुलिस ने गिरोह के एक अन्य सदस्य देव कुमार की तलाश शुरू कर दी है।
  • बरामद मोबाइल्स में विभिन्न कंपनियों के 29 फोन शामिल हैं।

बच्चों के भविष्य पर सवाल

गिरोह के पकड़े गए नाबालिग सदस्यों में से दो बच्चों को देखभाल की आवश्यकता वाली श्रेणी में पाया गया। इन बच्चों को सभी कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद बाल कल्याण समिति को सौंप दिया जाएगा।

इतिहास: झारखंड में बाल अपराध और गिरोह

झारखंड में बच्चों को अपराध के दलदल में धकेलने का यह पहला मामला नहीं है।

  1. समाज पर असर: बच्चों को अपराध में शामिल करना समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
  2. बाल श्रम कानून: ऐसे मामलों में बाल श्रम और अपराध विरोधी कानूनों का उल्लंघन होता है।

क्या कहती है पुलिस?

रांची के सिटी एसपी राजकुमार मेहता ने बताया कि इस मामले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने आम जनता से अपील की कि वे अपने बच्चों को ऐसे गिरोहों से बचाने के लिए सतर्क रहें।

आगे की कार्रवाई

  1. देव कुमार की गिरफ्तारी: पुलिस मुख्य आरोपी देव कुमार की तलाश कर रही है।
  2. सख्त कदम: पुलिस ने चेतावनी दी है कि भविष्य में इस तरह के मामलों पर और कड़ी नजर रखी जाएगी।
  3. जनता की जागरूकता: चोरी रोकने और बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए जन-जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow